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बढ़ती उम्र को निःसन्तान होने का कारण न बनने दे !

हमारे एक दंपत्ति की कहानी आपको विश्वास दिलाएगी कि चमत्कार होने में कभी कभी थोड़ा समय लगता है, परन्तु असंभव नहीं होता।

हमारी मरीज श्रीमती सुमन (रोगी की गोपनीयता की रक्षा के लिए नाम बदल दिया गया) 50 वर्ष की महिला पिछले 3 आईवीएफ IVF विफलताओं (failure) के साथ हमारे पास आई थी | उनके गर्भाशय में फाइब्रॉएड (fibroid) थे और गर्भाशय की परत बनने (thin endometrium) की परेशानी भी थी । उनकी रजोनिवृत्ति (menopause) को ३ साल हो चुके थे और उच्च रक्तचाप (hypertension) की परेशानी भी थी।

कई आईवीएफ IVF उपचार के विफल होने की वजह से वह गर्भवती होने की उम्मीद खो चुकी थी और आशा की एक किरण के साथ हमारे पास आई।

पेशेंट की सबसे पहले काउंसलिंग की गई और उन्हें समझाया गया कि उनके अण्डाशय में अण्डों की मात्रा ख़त्म हो चुकी है | जिसकी वजह से उनके खुद के अण्डों से IVF नहीं हो सकता | इसलिए उन्हें डोनर एग IVF(donor egg IVF) की तरफ बढ़ना चाहिए |उन्हें यह भी समझाया कि उनकी गर्भाशय की परत कमजोर होने के कारण और गर्भाशय में FIBROID होने की वजह से IVF की सफलता के CHANCES उनके केस में ५० प्रतिसत (50%) से कम हैं |

एक तथ्य यह जानकर कि गर्भावस्था उस महिला की उम्र में जोखिम भरी हो सकती है क्योंकि वह उच्च रक्तचाप (hypertension) की भी मरीज है, हमने उसे पूर्ण स्वास्थ्य जांच (full health check up ) कराने की सलाह दी जिसके तहत कुछ परीक्षण किए गए थे जैसे: चेस्ट एक्स-रे(chest x ray), ईसीजी रक्त जांच(ecg) (हैमोग्राम,(haemogram) ब्लड शुगर,(blood sugar) एलएफटी (LFT) , KFT, लिपिड प्रोफाइल(lipid profile)आदि| उसकी सभी रिपोर्टों की जांच के बाद, जब हमने देखा की उसकी सारी जाँचे नार्मल हैं तब हमने दाता अंडा(donor egg IVF) IVF शुरू किया | दंपत्ति को यह भी समझाया गया कि उन्हें सिर्फ एक ही एम्ब्र्यो (भ्रूण) प्रत्यारोपित कराना चाहिए क्यूंकि उम्र व BP की वजह से twin pregnancy (जुड़वाँ बच्चे )ज्यादा जोखिम भरी हो सकती है |

IVF के ईलाज की तरफ बढ़ने से पहले महिला के गर्भाशय को तैयार करने के लिए लंबी एस्ट्रोजन(estrogen therapy ) थेरेपी दी गई और परत की मोटाई tvs usg के द्वारा जाँच की गई ,जिसमें ये देखा गया कि एस्ट्रोजेन थेरेपी देने के बावजूद परत की मोटाई 6.5mm से अधिक मोटी नहीं हुई |

उसके (frozen embry transfer) उपचार प्रोटोकॉल जिसका पालन किया गया था वो इस प्रकार है :-

पहला फ्रोज़न एम्ब्र्यो ट्रांसफर(frozen embryo transfer) हमें रद्द करना पड़ा क्यूँकि जिस दिन भ्रूण गर्भाशय में डालने थे उस दिन हमें USG में महिला की गर्भाशय की परत में फ्लयूड (fluid) नजर आया था|

दूसरे fet में हमने परत को बनाने के लिए और गर्भाशय में भ्रूण को चिपकने में मदद करने के लिए कुछ प्रयोगात्मक तकनीकों का उपयोग किया जैस कि:-

1-G-csf- यह एक प्रकार का इंजेक्शन होता है जिसे गर्भाशय में दो से तीन बार डालने से गर्भाशय की परत में बेहतरी होती है एवं प्रेगनेंसी ठहरने के चांस बढ़ते हैं |

2-HEPARIN INJ- यह एक प्रकार का इंजेक्शन है जो पेट में प्रतिदिन लगाया जाता है जिससे गर्भाशय में रक्त संचार बढ़ता है और भ्रूण को ठहरने में मदद मिलती है |
इन सभी प्रयोगात्मक तकनीकों का इस्तमाल करने के बाद भ्रूण को गर्भाशय में डाला गया|

जब महिला 12 दिनों के बाद हमारे पास आयीं तो उसने हमें सकारात्मक बी-एचसीजी रिपोर्ट (positive beta hcg report) के साथ अच्छी खबर दी। अब वह एक बच्चे की माँ हैं।

इसलिए अगर आप भी अपनी बढ़ती उम्र और कम अण्डों की वजह से निसंतान होने का दुःख महसूस कर रहे हैं तो निराश होने की आवश्यकता नहीं है ORIGYN FERTILITY AND IVF CENTRE आपकी इस समस्या का समाधान करने के लिए तत्पर है|

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